शंकराचार्य का सवाल: धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा से सनातन को खतरा?

सनातन धर्म पर चर्चा या विवाद? अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान"

सनातन धर्म पर चर्चा या विवाद? अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान"

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने धीरेंद्र शास्त्री की सनातन पदयात्रा और देवकीनंदन ठाकुर की धर्म संसद पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या ये गतिविधियां सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को समझती हैं या इन्हें तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है।


शंकराचार्य ने उठाए सनातन पर सवाल

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की सनातन पदयात्रा और देवकीनंदन ठाकुर की धर्म संसद पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इन आयोजनों में सनातन धर्म का सही अर्थ और उद्देश्य कहीं खोता जा रहा है।


सनातन शब्द का सही अर्थ समझें


स्वामी जी ने कहा कि सनातन धर्म का मतलब केवल हिंदू धर्म से नहीं है। उन्होंने कहा, "आजकल सनातन शब्द का इस्तेमाल अपने-अपने एजेंडे के लिए किया जा रहा है। यह धर्म सभी जीवों के कल्याण की बात करता है, लेकिन क्या इन गतिविधियों में इसे समझा जा रहा है?"


वर्णाश्रम खत्म करने की बात पर आपत्ति


धीरेंद्र शास्त्री द्वारा वर्णाश्रम व्यवस्था खत्म करने की बात पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, "यदि वर्णाश्रम व्यवस्था खत्म होती है, तो सनातन धर्म की संरचना क्या बचेगी? ऐसे कदम धर्म की गहराई को कमजोर कर सकते हैं।"


धर्म संसद पर भी उठाए सवाल


स्वामी जी ने देवकीनंदन ठाकुर की धर्म संसद को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि यह समझना होगा कि धर्म संसद से किस प्रकार की बातें निकल रही हैं और क्या ये वाकई सनातन धर्म की सेवा कर रही हैं या केवल लोगों को भटकाने का माध्यम बन रही हैं।


जनता की प्रतिक्रिया


धीरेंद्र शास्त्री और देवकीनंदन ठाकुर के समर्थकों ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बयान पर नाराजगी जाहिर की। वहीं, कुछ लोग स्वामी जी की बात से सहमत हैं और मानते हैं कि सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को बनाए रखना जरूरी है।



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क्या आप मानते हैं कि धर्म के मुद्दों पर सवाल उठाना जरूरी है? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं और इस खबर को दूसरों के साथ शेयर करें। सनातन धर्म की सही परिभाषा पर अपनी राय जरूर दें।


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