जस्टिस शेखर कुमार यादव के मुस्लिम समुदाय पर विवादित बयान के बाद बवाल मच गया है
जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान पर विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा कदम
मुस्लिम समुदाय पर की गई विवादित टिप्पणियों के कारण इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव सुर्खियों में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
8 नवंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों पर कई विवादित टिप्पणियां कीं। इन टिप्पणियों में उन्होंने धर्मांतरण, ट्रिपल तलाक, और समान नागरिक संहिता (UCC) का ज़िक्र करते हुए विवाद खड़ा कर दिया। साथ ही, उन्होंने मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों को "देश-विरोधी" तक कह दिया, जिससे न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे।
सुप्रीम कोर्ट की सक्रियता
सुप्रीम कोर्ट ने इन टिप्पणियों का संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट से इस मामले की पूरी जानकारी मांगी है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला प्रशासनिक तौर पर उठाया है। संस्था ‘कैम्पेन फॉर ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स’ (CJAR) ने जस्टिस यादव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पांच पन्नों की शिकायत दर्ज कराई है। CJAR ने कहा है कि जस्टिस यादव के बयान ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जिसके लिए कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।
संसद में भी उठेगी बात
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के सांसद रूहुल्लाह मेहदी ने घोषणा की है कि वे संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत जस्टिस यादव को हटाने के लिए संसद में प्रस्ताव पेश करेंगे। मेहदी का कहना है कि इस प्रस्ताव के लिए 100 सांसदों के हस्ताक्षर जुटाने की प्रक्रिया चल रही है।
आगे की राह
जस्टिस यादव के बयान ने न्यायपालिका से लेकर राजनीतिक गलियारों तक बहस छेड़ दी है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट और संसद इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं। फिलहाल, न्यायपालिका की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए एक मजबूत कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है।