ट्रंप ने बदल दिए नियम फंस गए 70% भारतीय कानून खत्म..नहीं मिलेगी नागरिकता
अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता पर नया आदेश: भारतीय समुदाय के लिए क्या मायने?
अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता (Birthright Citizenship) के मुद्दे पर हाल ही में बड़ा बदलाव आया है, जिसने वहां रह रहे भारतीय समुदाय में चिंता बढ़ा दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी कर इस अधिकार को सीमित करने का प्रयास किया है, जिससे भारतीय प्रवासियों के बीच अनिश्चितता का माहौल है।
जन्मसिद्ध नागरिकता क्या है?
अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के तहत, अमेरिका में जन्म लेने वाला हर बच्चा, चाहे उसके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी हो, स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिक बन जाता है। इस सिद्धांत को जन्मसिद्ध नागरिकता कहा जाता है। ट्रंप प्रशासन ने इस प्रावधान को सीमित करने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी किया है।
नए आदेश का प्रभाव
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नागरिकता के लिए नई शर्तें: नए आदेश के अनुसार, अब केवल उन्हीं बच्चों को अमेरिकी नागरिकता मिलेगी जिनके माता-पिता में से कम से कम एक अमेरिकी नागरिक, ग्रीन कार्ड धारक, या अमेरिकी सेना में सेवारत हो। इसका मतलब है कि एच1-बी वीजा धारक भारतीयों के बच्चों को अब स्वचालित नागरिकता नहीं मिलेगी।
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भारतीय समुदाय में चिंता: अमेरिका में लगभग 40 लाख भारतीय रहते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या एच1-बी वीजा पर हैं। नए आदेश के बाद, इन परिवारों के लिए अपने बच्चों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।
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प्रेग्नेंट महिलाओं की दुविधा: कई भारतीय महिलाएं, जिनकी डिलीवरी की तारीख 20 फरवरी के बाद की है, समय से पहले सी-सेक्शन के लिए डॉक्टरों पर दबाव बना रही हैं, ताकि उनके बच्चे को अमेरिकी नागरिकता मिल सके। हालांकि, समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
कानूनी चुनौतियाँ और वर्तमान स्थिति
ट्रंप के इस आदेश को अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन माना जा रहा है। हाल ही में, एक संघीय न्यायाधीश ने इस आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है, इसे "स्पष्ट रूप से असंवैधानिक" करार देते हुए। इससे भारतीय समुदाय को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन भविष्य अभी भी अनिश्चित है।
निष्कर्ष
अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता पर आए इस नए आदेश ने भारतीय प्रवासियों के बीच चिंता और अनिश्चितता बढ़ा दी है। हालांकि अदालत ने फिलहाल इस पर रोक लगा दी है, लेकिन इस मुद्दे का अंतिम समाधान कानूनी प्रक्रियाओं के बाद ही सामने आएगा। भारतीय समुदाय को सलाह दी जाती है कि वे इस मामले में आने वाले अद्यतनों पर नजर रखें और आवश्यकतानुसार कानूनी सलाह लें।