"जयपुर हादसा: गैस टैंकर की टक्कर से 50 वाहन जलकर राख, बड़ा खतरा टला
जयपुर हादसा: आग का तांडव, 12 की मौत और दर्जनों झुलसे
जयपुर-अजमेर हाईवे पर एक भयानक हादसे में 12 लोगों की जान चली गई और 40 से अधिक वाहन जलकर राख हो गए। हादसे ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया।
कैसे हुआ हादसा?
सुबह करीब 6 बजे दिल्ली पब्लिक स्कूल के पास एक गैस टैंकर और कई वाहनों की टक्कर के बाद भयंकर आग लग गई। टैंकर में मौजूद 18 टन गैस ने आग को इतना भयावह बना दिया कि 200 फुट ऊंची लपटें उठने लगीं। आग की चपेट में आए 40 से ज्यादा वाहन जलकर खाक हो गए।
बस में सवार 34 यात्रियों में से 20 झुलस गए। कई लोग कपड़े उतारकर जान बचाने के लिए भागे। हादसे में कुछ लोगों के शव इस कदर जल गए कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया।
पुलिस और प्रशासन का बयान
जयपुर पुलिस आयुक्त बीजू जॉर्ज जोसफ ने बताया कि टैंकर के नोजल टूटने से गैस फैल गई और फिर चिंगारी से आग लग गई। घटनास्थल के आसपास 2 किलोमीटर तक का इलाका गैस चैंबर बन गया।
घटना के बाद प्रशासन ने आसपास के लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजा और स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया।
पीड़ितों की दर्दनाक कहानियां
28 साल की महिला पुलिस कांस्टेबल अनीता मीणा, जो ड्यूटी पर जा रही थीं, इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठीं। उनकी पहचान उनके पैर की बिछिया और नेल पॉलिश से हुई। अनीता के दो छोटे बच्चे अब अनाथ हो गए।
एक बाइक सवार का हेलमेट आग की वजह से उसके चेहरे से चिपक गया, जिससे उसकी आंख बुरी तरह जल गई।
सरकार की मदद और मुआवजे की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे में जान गंवाने वालों के परिवारों को 2 लाख और घायलों को 50,000 रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की। वहीं, राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये और घायलों को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया।
सुरक्षा नियमों पर सवाल
इस हादसे में बिना परमिट चल रही एक बस भी जलकर राख हो गई। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन समय रहते इन नियमों को लागू कर सकता था?
गैस टैंकर हादसे से यह भी साफ होता है कि सुरक्षा मानकों को और सख्ती से लागू करना होगा।
निष्कर्ष
ऐसे हादसे हमें याद दिलाते हैं कि सड़क सुरक्षा और नियमों का पालन कितना जरूरी है। प्रशासन और आम जनता को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।