जानिए कुवैत में भारतीय मजदूरों की जिंदगी की असलियत

कुवैत में भारतीय मजदूर: संघर्ष, कमाई और एक बेहतर भविष्य की तलाश

जानिए कुवैत में भारतीय मजदूरों की जिंदगी की असलियत

क्या कुवैत में भारतीय मजदूरों की जिंदगी वाकई सुनहरी है?

भारत से लाखों लोग हर साल अपने परिवार की जिंदगी बेहतर बनाने के सपने लेकर खाड़ी देशों का रुख करते हैं। कुवैत, इन देशों में से एक, जहां बड़ी संख्या में भारतीय दिहाड़ी मजदूर काम करते हैं। लेकिन कुवैत में उनकी कमाई, खर्च, और जीवन की असलियत अक्सर एक अलग ही कहानी बयां करती है।


कुवैत में मजदूरी: सुनने में ज्यादा, असल में कितना?


कुवैत में दिहाड़ी मजदूरों का न्यूनतम वेतन 100 कुवैती दीनार है। भारतीय रुपये में यह लगभग ₹27,200 बनता है। दिन के हिसाब से मजदूरी देखें, तो यह केवल 3.3 कुवैती दीनार (₹900) है। हालांकि यह रकम भारत के कई हिस्सों की तुलना में बेहतर लग सकती है, लेकिन कुवैत जैसे महंगे देश में यह जीने के लिए मुश्किल से पर्याप्त है।


1. रहने का खर्च:

औसतन 30-50 कुवैती दीनार किराए में चले जाते हैं।


2. खाने-पीने का खर्च:

लगभग 20-30 कुवैती दीनार खाने-पीने में खर्च हो जाते हैं।


3. बचत:

मुश्किल से 20-30 दीनार बच पाते हैं, जिसे वे भारत में अपने परिवार को भेजते हैं।



सपनों और हकीकत के बीच मजदूरों का संघर्ष

भारतीय मजदूरों की बड़ी संख्या कुवैत के निर्माण, सफाई और अन्य श्रमिक वर्ग के कामों में लगी है। वे कठिन हालात में 10-12 घंटे काम करते हैं। लेकिन, इन मजदूरों को कई बार अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन, बकाया वेतन, और खराब रहने की स्थिति जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।


प्रधानमंत्री मोदी की कुवैत यात्रा: प्रवासी भारतीयों को नई उम्मीद


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 43 सालों में कुवैत की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। उनकी यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही। उन्होंने न केवल व्यापार और ऊर्जा साझेदारी को महत्व दिया, बल्कि कुवैत में रहने वाले भारतीय समुदाय के साथ 'हाला मोदी' कार्यक्रम के जरिए सीधा संवाद भी किया। इस कार्यक्रम में हजारों भारतीय प्रवासियों ने तिरंगे के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत किया।


प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भारतीयों के कुवैत के विकास में योगदान की सराहना की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारतीय समुदाय की समस्याओं के समाधान के लिए भारत सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।



कुवैत में भारतीय मजदूरों के लिए क्या है भविष्य?

कुवैत में भारतीय मजदूर केवल सस्ते श्रमिक नहीं, बल्कि कुवैत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।


1. सरकार की पहल:

 

भारत सरकार कुवैत के साथ प्रवासी मजदूरों की बेहतर सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए समझौते कर रही है।

 

2. आर्थिक सुधार की जरूरत:

न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने और मजदूरों के रहने की स्थिति में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।




निष्कर्ष: हर संघर्ष के पीछे उम्मीद का एक दिया


कुवैत में भारतीय मजदूरों की जिंदगी आसान नहीं है। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी की कुवैत यात्रा ने उनमें एक नई उम्मीद जगाई है। यह यात्रा केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि भारतीय समुदाय के लिए एक प्रेरणा है कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें और अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए संघर्ष करते रहें

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