ट्रंप का शपथ ग्रहण..भारत का अपमान…Ambani को बुलाया..Modi को नहीं... जानिए ट्रम्प ने एसा क्यू किया
डोनाल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी को शपथ ग्रहण में क्यों नहीं बुलाया? भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ा!
अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेकर इतिहास रच दिया। लेकिन इस समारोह में एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्यों नजरअंदाज किया गया? वहीं, भारतीय उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी को निजी निमंत्रण देकर बुलाया गया। यह घटना भारत-अमेरिका के बीच रिश्तों में एक नए विवाद की ओर इशारा करती है।
क्या है शपथ ग्रहण का पूरा मामला?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को निमंत्रण दिया, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री को नजरअंदाज किया। इसके विपरीत, मुकेश अंबानी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और ट्रंप को व्यक्तिगत बधाई दी।
इस पर लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। सोशल मीडिया पर ट्रंप के इस फैसले को भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान बताया गया।
मोदी को क्यों नहीं बुलाया गया?
विदेश मामलों के जानकारों के मुताबिक, ट्रंप और मोदी के बीच रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे। पिछली बार क्वाड समिट में मोदी ने ट्रंप से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी, जिससे ट्रंप नाराज थे। इसके अलावा, चीन और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों का महत्व भी इस फैसले की बड़ी वजह मानी जा रही है।
ट्रंप के लिए चीन आर्थिक दृष्टिकोण से भारत से ज्यादा महत्वपूर्ण है। अमेरिका चीन के साथ व्यापारिक तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा है, और इसीलिए चीन को प्राथमिकता दी गई।
क्या अंबानी को जाना चाहिए था?
अंबानी की ट्रंप के समारोह में उपस्थिति ने भी लोगों को सवाल खड़े करने पर मजबूर किया। कुछ लोगों का मानना है कि जब मोदी को नहीं बुलाया गया, तो अंबानी को भी वहां नहीं जाना चाहिए था। यह भारत की छवि को कमजोर करने वाला कदम बताया जा रहा है।
भारत-अमेरिका के बदलते रिश्ते
डोनाल्ड ट्रंप का भारत के प्रति यह रुख इस बात की ओर संकेत करता है कि अमेरिका अब चीन को भारत से ज्यादा प्राथमिकता दे रहा है। यह भारत के लिए एक चेतावनी भी है कि उसे अपनी विदेश नीति को और मजबूत करना होगा।
क्या होगा आगे?
इस साल के अंत में होने वाली क्वाड समिट के दौरान मोदी के पास ट्रंप से संबंध सुधारने का एक और मौका होगा। लेकिन यह साफ है कि अमेरिका केवल अपने फायदे को प्राथमिकता देता है और रिश्तों में स्थिरता की उम्मीद कम है।
ट्रंप द्वारा मोदी को नजरअंदाज करना भारत-अमेरिका रिश्तों के लिए एक झटका है। इस घटना ने दिखा दिया है कि आर्थिक और व्यापारिक फायदे ही अंतरराष्ट्रीय संबंधों का आधार बनते हैं। भारत को अब सतर्क रहना होगा और अपनी विदेश नीति को और सशक्त बनाना होगा