गोरखपुर में चौंकाने वाला खुलासा: बेटी की शादी के लिए एफडी तुड़वाने गए, बैंक ने कहा – फर्जी है
23 साल पुरानी एफडी का सच: बैंक में पहुंचे ग्राहक के होश उड़े!
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने हर किसी को चौंका दिया है। 2001 में बैंक में की गई ₹23,000 की फिक्स्ड डिपॉजिट को अब फर्जी करार दिया गया है। जब पीड़ित अपनी बेटी की शादी का कर्ज चुकाने के लिए पैसा निकालने पहुंचे, तो बैंक ने एफडी के अस्तित्व से ही इनकार कर दिया।
1. कैसे शुरू हुई यह कहानी?
गोरखपुर के जमुनाहिया गांव के रहने वाले 40 वर्षीय जवाहिर साहनी ने 2001 में एसबीआई की पादरी बाजार शाखा में ₹23,000 की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) करवाई थी। यह एफडी 84 महीने की अवधि के लिए थी। 2008 में जब एफडी की अवधि पूरी हुई, तो बैंक कर्मियों ने उन्हें सलाह दी कि इसे ऑटो-रिन्यू करा दें। जवाहिर ने सोचा कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर यह पैसा काम आएगा।
यह फैसला उस समय सही लगा, लेकिन जवाहिर को यह अंदाजा नहीं था कि बैंक की लापरवाही या धोखाधड़ी का शिकार बनकर वह अपने ही पैसे से हाथ धो बैठेंगे।
2. बेटी की शादी और पैसों की जरूरत
2024 के दिसंबर में जवाहिर की बेटी की शादी थी। यह उनकी जिंदगी का सबसे खास मौका था। हालांकि, शादी के लिए उन्होंने उधार लिया, और इसे चुकाने के लिए उन्होंने अपनी पुरानी एफडी तुड़वाने का फैसला किया। 19 दिसंबर को जब वे बैंक पहुंचे और एफडी का पेपर काउंटर पर दिया, तो बैंक कर्मियों ने कहा, “इसमें कोई पैसा नहीं है। यह एफडी फर्जी लगती है।”
यह सुनकर जवाहिर के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने सवाल किया, "फर्जी कैसे? मैंने तो यह एफडी खुद 2001 में जमा कराई थी।" लेकिन बैंक ने यह कहते हुए बात टाल दी कि दस्तावेजों में खाता नंबर और अन्य डिटेल्स नहीं हैं।
3. बैंक कर्मियों की प्रतिक्रिया और पीड़ित का संघर्ष
26 दिसंबर को जवाहिर दोबारा बैंक पहुंचे। इस बार भी उन्हें वही जवाब मिला। बैंक ने कहा कि उनके एफडी कागजात पर अकाउंट नंबर नहीं है, जिससे पैसे का ट्रैक करना संभव नहीं है। यह सुनकर जवाहिर का गुस्सा और दुख और बढ़ गया।
उन्होंने स्टेट बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। अपनी शिकायत में उन्होंने बताया कि बेटी की शादी के लिए उन्हें पैसों की सख्त जरूरत थी। शादी के लिए लिया गया कर्ज उन्हें रातों की नींद नहीं लेने दे रहा था।
4. विशेषज्ञों की राय: यह फ्रॉड है या लापरवाही?
विशेषज्ञों का मानना है कि:
1. यह मामला बैंक की लापरवाही का नतीजा हो सकता है। हो सकता है, 2001 में एफडी करते समय कागजी काम ठीक से नहीं किया गया हो।
2. दूसरी संभावना यह है कि बैंक कर्मियों की मिलीभगत से किसी ने यह फ्रॉड किया हो। पुराने एफडी रिकॉर्ड में हेरफेर करना असंभव नहीं है।
इससे साफ है कि इस मामले की गहराई से जांच जरूरी है।
5. आपके पैसे सुरक्षित कैसे रहें?
जवाहिर की कहानी हम सबके लिए एक सीख है। अगर आप भी बैंक में एफडी करवा रहे हैं या पहले से करवा चुके हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:
1. सभी दस्तावेज संभालकर रखें: हर बैंकिंग डॉक्यूमेंट की फोटोकॉपी और डिजिटल स्कैन जरूर रखें।
2. रेगुलर अपडेट लें: हर साल अपनी एफडी और बैंक अकाउंट का स्टेटमेंट चेक करें।
3. बैंक से बातचीत करें: अगर किसी भी तरह का शक हो, तो तुरंत बैंक मैनेजर से बात करें।
4. ऑनलाइन रिकॉर्ड सुरक्षित रखें: अधिकांश बैंक अब ऑनलाइन एफडी ट्रैकिंग की सुविधा देते हैं। इसे जरूर इस्तेमाल करें।
6. क्या अब जवाहिर को न्याय मिलेगा?
इस वक्त जवाहिर के सामने दो ही विकल्प हैं – या तो वे बैंक पर कानूनी कार्रवाई करें या सरकारी अधिकारियों से मदद लें।
उन्हें उम्मीद है कि बैंक जल्द से जल्द जांच पूरी करेगा और उनकी मेहनत की कमाई उन्हें वापस मिलेगी।
निष्कर्ष:
यह घटना न सिर्फ गोरखपुर, बल्कि पूरे देश के लोगों के लिए एक चेतावनी है। बैंकिंग सिस्टम पर भरोसा जरूर करें, लेकिन सतर्क रहना भी जरूरी है।
आपके पास भी ऐसा कोई अनुभव है? हमें कमेंट में बताएं और इस कहानी को दूसरों के साथ शेयर करें ताकि हर कोई सतर्क रह सके।