चीन की चाल: बोइंग पर हमला, डॉलर की सत्ता खतरे में!
बोइंग का संकट: क्या अमेरिका की ताकत टूट रही है?
चीन का पलटवार: बोइंग पर सटीक निशाना
अमेरिका-चीन आर्थिक जंग ने बोइंग को निशाने पर लिया है। ट्रंप के टैरिफ से शुरू हुआ यह युद्ध अब उल्टा पड़ रहा है। चीन ने अपनी एयरलाइंस को बोइंग के विमान और अमेरिकी पार्ट्स खरीदने से मना कर दिया। 2018 में बोइंग का सबसे बड़ा ग्राहक रहा चीन अब 9,000 विमानों की डील रद्द कर सकता है। इससे बोइंग की कमर टूट सकती है। चीन ने यूरोप की एयरबस को गले लगाया, जिससे अमेरिका के कॉन्ट्रैक्ट्स फ्रांस की झोली में जा सकते हैं।
टैरिफ की मार: बोइंग की लागत आसमान पर
ट्रंप के टैरिफ ने बोइंग के 787 ड्रीमलाइनर को 9 मिलियन डॉलर महंगा कर दिया, क्योंकि विदेशी पार्ट्स पर 10-15% टैक्स बढ़ गया। बढ़ती लागत और चीन का बॉयकॉट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को संकट में डाल रहे हैं। मिडवेस्ट में बेरोजगारी बढ़ रही है, फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं। हजारों कर्मचारियों की रोजी-रोटी खतरे में है, और बोइंग का स्टॉक लुढ़क रहा है।
डॉलर पर खतरा: चीन की बड़ी चाल
चीन की रणनीति सिर्फ बोइंग तक नहीं। वह अपनी कंपनी कॉमक को मज़बूत कर रहा है और यूरोप के साथ युआन-यूरो में व्यापार बढ़ा रहा है। इससे डॉलर की वैश्विक पकड़ कमज़ोर हो रही है। यह सिर्फ व्यापार युद्ध नहीं, बल्कि अमेरिका की आर्थिक सत्ता पर हमला है। अगर डॉलर डगमगाया, तो अमेरिका की सुपरपावर स्थिति हिल सकती है।