पुराने जमाने के चार मस्त रिवाज: नियोग, चरण सेवा, दासी और राक्षस विवाह की धमाकेदार कहानी
पुराने भारत के 4 खास रिवाज: नियोग, चरण सेवा, दासी और राक्षस विवाह का पूरा सच"
पुराने जमाने में भारत में कुछ ऐसे रिवाज थे जो आज अजीब लगते हैं, लेकिन तब ये जिंदगी का हिस्सा थे। यहाँ नियोग, चरण सेवा, दासी और राक्षस विवाह की पूरी कहानी आसान शब्दों में, गहरी जानकारी और थोड़े मजे के साथ बताई गई है। साथ ही, ये भी समझेंगे कि इनमें शारीरिक संबंधों का क्या रोल था, जो हिंदू समाज में उस वक्त स्वीकार किए जाते थे।
1. नियोग: वंश चलाने का खास तरीका
नियोग तब होता था जब शादी के बाद पति-पत्नी को बच्चा न हो पाए। पति अपनी बीवी को कहता था, “तू मेरे भाई या किसी करीबी से बच्चा पैदा कर ले।” ये कोई छुपा हुआ काम नहीं था—शास्त्रों में साफ लिखा था। जैसे, मनुस्मृति में कहा गया है कि अगर पति नपुंसक हो या मर जाए, तो उसकी बीवी किसी और से बच्चा पैदा कर सकती थी, लेकिन सिर्फ वंश के लिए। बच्चा होने के बाद वो औरत अपने पति के पास ही रहती थी।
शारीरिक संबंध: हाँ, यहाँ संबंध बनते थे, पर सिर्फ बच्चे के लिए—प्यार या मस्ती के लिए नहीं। ये उस जमाने का “फैमिली प्लान” था, जिसे समाज मानता था।
Reference: मनुस्मृति, अध्याय 9, श्लोक 59-63 (वंश के लिए नियोग की इजाजत)
2. चरण सेवा: बड़ों की सेवा का अनोखा अंदाज
चरण सेवा में लोग अपने गुरु, माँ-बाप या बड़ों के पैर दबाते थे या उनकी मदद करते थे। जैसे, महाभारत में एकलव्य गुरु द्रोणाचार्य की हर बात मानता था। ये सिर्फ पैर दबाने तक नहीं था—पानी लाना, खाना देना, सब इसमें शामिल था। इसका मकसद था सम्मान दिखाना और आशीर्वाद पाना।
शारीरिक संबंध: यहाँ ऐसा कुछ नहीं था। लेकिन शारीरिक संबंध: चरण सेवा में गुरु या बड़ों के पैर दबाने के बहाने कभी-कभी शारीरिक संबंध बनाय जाता था , खासकर राजा-महाराजाओं के साथ।
Historical Fact: मध्यकालीन राजपूत दरबारों में ऐसा होता था। महाराज, मूवी मे इसकी एक झलक अप देख सकते हैं
3. दासी: घर की हरफनमौला नौकरानी
दासी वो औरत थी जो बड़े घरों में काम करती थी। वो खाना बनाती, घर साफ करती, बच्चों को संभालती थी। महाभारत में कुंती और द्रौपदी के पास अपनी दासियाँ थीं, जो हर काम में साथ देती थीं। लेकिन कई बार मालिक अपनी दासी से शारीरिक संबंध भी बनाते थे, और ये उस वक्त गलत नहीं माना जाता था।
शारीरिक संबंध: हाँ, दासी और मालिक के बीच संबंध बन सकते थे, खासकर अगर मालिक चाहता था। दासी की मर्जी नहीं पूछी जाती थी, और समाज इसे सामान्य मानता था। उसे बदले में खाना-कपड़े मिलते थे, पर आजादी नहीं।
Reference: महाभारत, सभापर्व, श्लोक 5.15-20 (द्रौपदी और उसकी दासियों का जिक्र)
4. राक्षस विवाह: जबरदस्ती की शादी
राक्षस विवाह में कोई ताकतवर मर्द लड़की को उठाकर उससे शादी कर लेता था, चाहे लड़की राजी हो या न हो। जैसे, महाभारत में भीष्म ने काशी की तीन राजकुमारियों को जबरन हर लिया था। मनुस्मृति इसे विवाह का एक रूप मानती है।
शारीरिक संबंध: हाँ, यहाँ संबंध बनते थे, क्योंकि ये शादी ताकत और कब्जे का खेल थी। लड़की की मर्जी का सवाल ही नहीं उठता था। उस जमाने में इसे मर्द की जीत समझा जाता था, और समाज इसे स्वीकार करता था।
Reference: मनुस्मृति, अध्याय 3, श्लोक 33 (राक्षस विवाह का वर्णन); महाभारत, आदिपर्व, श्लोक 102.5-10 (भीष्म का हरण)
Disclaimer: "यह लेख किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए नहीं है। इसका उद्देश्य केवल इतिहास और प्राचीन रिवाजों के कुछ पहलुओं को, जिनमें गलत कार्य शामिल थे, जानकारी के तौर पर लोगों के सामने लाना है।"