टैरिफ का तड़का: भारत और दुनिया का अनोखा खेल!
गेहूं से जेब तक: कौन कितना काट रहा टैक्स?
नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025: दुनिया के व्यापार में टैरिफ वो मसाला है, जो हर देश अपने स्वाद से छिड़कता है। भारत हो या अमेरिका, चीन हो या रूस—सब अपने-अपने ढंग से आयात पर टैक्स का तड़का लगा रहे हैं। लेकिन ये टैक्स आपकी रोटी और जेब को कैसे छूता है? चलिए, इसे आसान और मजेदार अंदाज में समझते हैं—बिना लंबी चौड़ी बातों के, सीधे मुद्दे पर!
भारत: 40% का गेहूं गार्ड
भारत में विदेशी गेहूं की एंट्री आसान नहीं। यहाँ 40% टैरिफ का पहरा है, ताकि देसी किसान और आपकी थाली सुरक्षित रहे। मगर जरूरत पड़ी तो सरकार ये दरें हवा में उड़ा देती है। कुल टैरिफ का औसत? 11.1%—दुनिया में कई देशों से ज्यादा, पर अपने बाजार को हर किसी के लिए खोलने का इरादा नहीं!
अमेरिका: सस्ता टैक्स, नया ट्विस्ट
अमेरिका में औसत टैरिफ सिर्फ 1.5%। गेहूं पर टैक्स? लगभग शून्य, क्योंकि वो खुद गेहूं का भंडार है। लेकिन 2025 में ट्रंप ने चाल चली—कनाडा-मैक्सिको से 25% और चीन से 10% टैरिफ का झटका। गेहूं बचा, पर बाकी सामान महंगा!
चीन: कोटे का कमाल
चीन में गेहूं का 9.6 मिलियन टन कोटा है—1% टैक्स में सस्ता सौदा। कोटा खत्म? तो 65% तक टैरिफ की मार! औसत 3.5%—बाजार पर कंट्रोल का शानदार नमूना।
यूरोप: सख्ती में सस्तापन
यूरोपीय संघ का टैरिफ औसत 2.3%। गेहूं पर 0-12% तक टैक्स, पर बाहर वालों को सख्ती से देखता है। अपने किसानों की ढाल है ये!
रूस: निर्यात का राजा
रूस गेहूं का बादशाह है। आयात टैरिफ से ज्यादा यहाँ निर्यात टैक्स की बात होती है—घर की कीमतें काबू में रखने का जुगाड़।
टैरिफ का असली रंग
ये टैक्स सिर्फ नंबर नहीं, देशों की चाल हैं। भारत किसानों को बचाता है, अमेरिका-चीन दबदबा बनाते हैं। अगली बार रोटी खाएं तो सोचें—इसमें कितना टैक्स सेंका गया है?
खास योगदान: भारत में गेहूं टैरिफ कभी-कभी 0% भी हो जाता है, जैसे 2022 में कमी के वक्त। अमेरिका का नया टैरिफ प्लान 2025 की सबसे बड़ी खबर है—ट्रेड वॉर का नया दौर!
क्या कहते हैं—किस देश का टैरिफ राज और खोलें? आसान, मजेदार और आपके लिए तैयार!